नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच दिल्ली में हाल के दिनों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत सामने आई है. दिल्ली में अब ऑक्सीजन की कमी से लोग दम तोड़ने को मजबूर हैं. दिल्ली में 8 ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार होने थे, लेकिन आठ महीने में सिर्फ एक तैयार हो सका है. अब संकट के घड़ी में सवाल उठ रहे हैं कि ये प्लांट क्यों नहीं बने. आखिर क्या है इसकी वजह.
पीएम केयर फंड से लगने थे प्लांट
केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर फंड के जरिए दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगने थे. इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गई. ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से जमीन मांगी. आठ अस्पतालों के अंदर दिल्ली सरकार की तरफ से जमीन उपलब्ध करवा दी गई. लेकिन ठेकेदार ने सिर्फ एक प्लांट का निर्माण किया और बाकि को अभी तक नहीं किया.
ऑक्सीजन प्लांट का ठेका एक ही ठेकेदार को क्यों?
पूरे देश में करीब 142 ऑक्सीजन प्लांट बनाए जाने थे. जिसका ठेका केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सिर्फ एक ठेकेदार को दिया गया. जिसमें 8 ऑक्सीजन प्लांट दिल्ली के भी शामिल थे. ऐसे में सिर्फ एक ठेकेदार के लिए जल्दी ऑक्सीजन प्लांट बनाना संभव नहीं था. पूरे देशभर में अधिकांश ऑक्सीजन प्लांट नहीं बने हैं जिसकी वजह से ऑक्सीजन की दिक्कत हो रही है. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि कोरोना के हालात के मद्देनजर जब हमें तत्काल ऑक्सीजन प्लांट की जरुरत थी तो सिर्फ एक ठेकेदार को ही ठेका क्यों दिया गया.
किन अस्पतालों में लगाए जाने थे ऑक्सीजन प्लांट?
पीएम केयर फंड के जरिए दिल्ली के आठ अस्पतालों में पीएसए का ढांचा विकसित करना था. जानकारी के मुताबिक दीप चंद बंधू अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, डॉ. बीएसए अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, लोक नायक अस्पताल, अंबेडकर अस्पताल, जीटीबी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाने थे. इनकी क्षमता करीब 5700 बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने की होती.
प्लांट लगाने के लिए पैसा किसे दिया गया?
केंद्र सरकार की तरफ से सितंबर 2020 में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया था. लेकिन 8 महीने बाद भी एक भी प्लांट नहीं लग सका. खास बात है कि दिल्ली सरकार को प्लांट लगाने के लिए 1 रुपये भी नहीं दिए गए. पीएम फंड से सारा पैसा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को दिया गया.